दैनिक जागरण: नवंबर 02, 2019
चाईबासा : अखिल भारतीय क्रांतिकारी आदिवासी महासभा के बैनर तले एसीसी सीमेंट कंपनी चाईबासा को एफ-3 का नया लीज की स्वीकृति के विरोध में राजंका, कोंदवा, दोकट्टा व चालकी के आदिवासी जमीन मालिकों ने बैठक कर विरोध जताया। विरोध के बाद राष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश व राज्यपाल के नाम आवेदन बनाकर जिला प्रशासन के माध्यम से भेजा। महासभा के केंद्रीय अध्यक्ष जॉन मिरन मुंडा ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार कैबिनेट की बैठक कर टोंटो अंचल के एसीसी सीमेंट कारखाना चाईबासा-झींकपानी को एफ-3 का नया लीज की स्वीकृति 63 एकड़ 26 डिसमिल भूमि का लीज बंदोबस्ती किया है। जिसका जमीन मालिक विरोध करते है। हमारा आदिवासी बहुल क्षेत्र संविधान का 5वां अनुसूची के तहत पेशा कानून (ग्रामसभा) और समता जजमेंट का निर्णय ही मान्य है। जिसका अनुपालन नहीं हुआ।
झारखंड सरकार ने विधानसभा चुनाव से पूर्व पार्टी फंड करोड़ों रुपये लेने के उद्देश्य से ही कैबिनेट बैठक बुलाकर आनन-फानन में यह निर्णय लिया है क्योंकि 63 एकड़ 26 डिसमिल भूमि का लीज बंदोबस्ती को एक मुश्त रकम मात्र 5 करोड़ 78 लाख 82 हजार 900 रुपये में 30 वर्षो का लीज दिया गया। जबकि यहां के आदिवासी जमीन मालिक पूर्व की लीज में मिलने वाली नौकरी और मुआवजा को लेकर आज भी आंदोलनरत हैं, कंपनी प्रबंधन रैयतों के साथ धोखा दिया है। जिस कारण से एफ-3 का नया लीज की स्वीकृति का विरोध कर रहे हैं। विरोध करने वालों में पोदना पाड़ेया, सुधीर गोडसोरा, मुन्ना सवैयां, साहू हेस्सा, शशि हेस्सा, रघुनाथ हेस्सा, गोरवारी बोयपाई, महती सिंह, लखन गोप, मंगल हेस्सा आदि शामिल थे।